"ना तमारा छे, ना अमारा छे।
शब्दोना खेल सहियारा छे।।
शु प्रेम, शु स्नेह ने चाहत।
लागणीना रंगो सहुने प्यारा छे।।
हसता हसता जीवो जींदगी
संगाथे कयां कोइ आववाना छे...
जीवतां जो आवडे
तो सो वरस जीवी जवाय छे
बाकी सांज थतां थाकी जवाय छे."
तो सो वरस जीवी जवाय छे
बाकी सांज थतां थाकी जवाय छे."
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