"चरित्र वृक्ष के समान हैं, तो प्रतिष्ठा उसकी छाया हैं ।
हम अक्सर छाया के बारे में सोचते हैं,
जबकि असल चीज तो वृक्ष ही हैं...।"
"जीत" किसके लिए, 'हार' किसके लिए,
'ज़िंदगी भर' ये 'तकरार' किसके लिए..
जो भी 'आया' है वो 'जायेगा' एक दिन यहाँ से ,
फिर ये इंसान को इतना "अहंकार" किसके लिए...
"मुस्कुराते रहो तो दुनिया आपके कदमों में होगी।
क्योंकि, आँसुओं को तो आँखें भी जगह नहीं देती।"
"कभी दूसरों को बदलने की अपेक्षा मत रखो,
स्वंय बदलो,
जैसे कंकर से बचने के लिए स्वंय जूते पहनना उचित है,
न कि पूरी धरती पर कारपेट बिछाना"
हम अक्सर छाया के बारे में सोचते हैं,
जबकि असल चीज तो वृक्ष ही हैं...।"
"जीत" किसके लिए, 'हार' किसके लिए,
'ज़िंदगी भर' ये 'तकरार' किसके लिए..
जो भी 'आया' है वो 'जायेगा' एक दिन यहाँ से ,
फिर ये इंसान को इतना "अहंकार" किसके लिए...
"मुस्कुराते रहो तो दुनिया आपके कदमों में होगी।
क्योंकि, आँसुओं को तो आँखें भी जगह नहीं देती।"
"कभी दूसरों को बदलने की अपेक्षा मत रखो,
स्वंय बदलो,
जैसे कंकर से बचने के लिए स्वंय जूते पहनना उचित है,
न कि पूरी धरती पर कारपेट बिछाना"
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